मेरे आँखों के ख्वाब, दिल के अरमान हो तुम,
तुम से ही तो मैं हूँ , मेरी पहचान हो तुम,
मैं ज़मीन हूँ अगर तो मेरे आसमान हो तुम,
सच मानो मेरे लिए तो सारा जहां हो तुम।
जिस राह पर हर बार मुझे कोई अपना छलता रहा
फिर भी ना जाने क्यूँ मै उसी राह पर चलता रहा
सोचा बहुत इस बार रोसनी नहीं धुआँ दूंगा
लेकिन चिराग था फितरत से जलता रहा....जलता रहा