बरसों बाद न जाने क्या समां होगा,
हमसब दोस्तों में न जानें कौन कहाँ होगा,
अगर मिलना हुआ तो मिलेंगें ख्वाबों में,
जैसे सूखे हुये गुलाब मिलते हैं किताबों में।
फिर कहीं दूर से एक बार सदा दो मुझको,
मेरी तन्हाई का एहसास दिला दो मुझको,
तुम तो चाँद हो तुम्हें मेरी ज़रुरत क्या है,
मैं दिया हूँ किसी चौखट पे जला दो मुझको।