फ़िक्र मत करो मेरे दोस्त जब सुबह 4 बजे उठी रसोई में काम करती
माँ के बर्तनों की खट पट तुम्हें नहीं उठा पायी ,
तुम्हारे पिता की हज़ारों ख्वाहिशें और हज़ारों उम्मीदें तुम्हें सुबह…
माना कि अभी तन्हा हो तुम , साथ तुम्हारे कोई महफ़िल नही है।
माना कि चमकते सितारों की फेहरिस्त में , नाम तुम्हारा अभी शामिल नहीं है।
" पर जो वक़्त तुम्हारा है वो जरूर आएगा "
बस इतना…