तेरे शहर में आ कर बेनाम से हो गए,
तेरी चाहत में अपनी मुस्कान ही खो गए,
जो डूबे तेरी मोहब्बत में तो ऐसे डूबे,
कि जैसे तेरी आशिक़ी के गुलाम ही हो गए। Read More...
उड़ता हुआ गुबारा सर-ए-राह देख कर,
अंजाम हमने इश्क़ का सोचा तो रो दिए,
बादल फिजा में आप की तस्वीर बन गए,
साया कोई ख्याल से गुजरा तो रो दिए। Read More...
जीत ना सके तो क्या मैदान में उतरे तो थे
हार गए तो क्या संघर्ष ऐ-जंग में भिड़े तो थे
हमारी उड़ानें अब पंखो की मोहताज नही, हम उड़े न उड़े अब, साथ कदमों में तो है....
चहार दीवारों में अब कैद नही रही हमारी… Read More...
जिस राह पर हर बार मुझे कोई अपना छलता रहा
फिर भी ना जाने क्यूँ मै उसी राह पर चलता रहा
सोचा बहुत इस बार रोसनी नहीं धुआँ दूंगा
लेकिन चिराग था फितरत से जलता रहा....जलता रहा Read More...