जब सुबह 4 बजे उठी रसोई में काम करती माँ

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फ़िक्र मत करो मेरे दोस्त जब सुबह 4 बजे उठी रसोई में काम करती
माँ के बर्तनों की खट पट तुम्हें नहीं उठा पायी ,
तुम्हारे पिता की हज़ारों ख्वाहिशें और हज़ारों उम्मीदें तुम्हें सुबह जल्दी नहीं उठा पायी ,
तो यकीन मानों कोई अज़ान कोई आरती तुम्हें नींद से नहीं जगा पायेगी।

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